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वैष्णव्यवैष्णव्य वैष्णव्य /vaiṣṇavya/ принадлежащий Вишну ; см. विष्णु 1)

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वायुसम, विभक्त, विरोह, भक्तद्वेष, वेलाजल, शिबिका, हीनांशु, कार्ष्णी, हितक, त्वङ्ग्, अतिजीव्, भोक्तुकाम, चित्तवृत्ति, तपस्, देहधारण, सक्षित्, सुम्नायु, संशोषण, मृत, अनुक्रम, विद्मन्, शीर्य, सीरिन्, प्रपथिन्, त्रिजत, निहा, मुग्धाक्षी, समुद्रनेमि, संप्रिय, अप्रतिबुद्ध, शिरसिरुह, सोपानत्क, भद्रक, मङ्गलीय, अंसकूट, वसाहोम, साक्षी, पिङ्गलित, अग्निशुद्धि, अधिवाक, निस्, सुराप, परिरक्षण, धैर्यता, उपपादक, दुःखत, शिरोमुख, क्षुब्ध, प्रदक्षिणा, प्रातर्युज्, अनियन्त्रण, सहदेव, साधुभाव, छन्दस्य, श्याल, प्रायणीय, दाम्भिक, आधर्, प्रमदा, वैपरीत्य, नम्र, अन्तिम, कुड्य, मुण्डितशिरस्, पापकृत, श्रावक, नारिकेल, वर्ज्, मृदुक, रक्षोघ्न, परिलुठ्, तान, नृकेसरिन्, पारस, संध्या, अमण्डित, धर्मक्षेत्र, सस्, दीक्षापाल, भूमिस्पृश्, चन्दनरस, द्विरद, प्रवृद्धि, सिताभ्र, संरोपय्, विमोचन, आदीप्, स्मरदशा, जङ्घाबल, वधर्यन्ती, शरकाण्ड, संस्कृत, सु-हृद्, वृजनी, प्रतिभा, सप्तशत, आयुध्, स्याल, दुर्गता, स्फाति, त्सरु, आशावासस्, रुद्, दधृष्, निकाश, राद्ध, चित्रवर्तिका, काक, दर्वि, अभिन्न, विलुप्, दुष्कृति, त्र्याहित, स्वपस्या, संयुज्, छेदन, धूमकेतु, उदीष्, विक्लवत्व, विधियोग, अग्रद्धा, चिरकार, प्राणभृत्, हनु, भूरिशृङ्ग, वृत्, अकीर्तिकर, रथभङ्ग, वित्त, ऐतरेयक, सर्वविद्या, ग्रुच्, संवासिन्, वास्तु, पञ्चत्व, शकटिन्, विद्यार्थ, मुखश्री, सोमसुत्वन्, शयन, वीति, प्रतीनाह, विदुष्टर, बलिपुष्ट, तम्, सुश्लोक, न्यूनाधिक, वासिष्ठ, उत्थान, ऋण, विजि, अनुदात्त, वेदयितर्, आकारता, क्वथ, निह्राद, आन्ध्य, आनीत, परकार्य, इरिन्, विलोकन, अध्वग, पदन्यास, वीत, वलिन, निज्, शोभथ, परिमर्, क्षालन, स्कन्द्, विस्मेर, सनद्वाज, परिवास, नगराधिपति, परिपालन, सुवित्त, प्रणाशन, रम्यत्व, अस्वाधीन, नीति, सप्तन्, नृतु, राध, नैःस्व्य, गोधूम, अतिप्रबल, त्रिशीर्ष, स्वधीत, ब्रह्मवाच्, पदपङ्क्ति, संस्तब्ध, घर्ष, मूर्त, वञ्चय्, नृपकार्य, पृत्हिवीश्वर, शैघ्र, विश्वव्यचस्, सुनिर्वृत, विचि, द्विर्वचन, विपणि, सुप्रभात, रुचक, महाकल्प, यथाकाल, पायक |
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