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लोककृत्लोककृत् लोककृत् /loka-kṛt/ m. см. लोककर्तर्

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निघण्टुक, मोचित, कपीन्द्र, चतुर्थांश, समद्, स्थिर, अविश्रम, शेषत्व, निवसथ, ज्योतिर्ज्ञ, देशातिथि, रराट, षडक्षर, सुसंपिष्ट, लुण्ठन, पुण्यपाप, कर्तव्यता, येन, विदूर, निश्, वाट्, संकथन, अभीक, बाहुमात्र, रभ्, पुण्यवन्त्, सर्वाङ्गीण, कास्, स्पर्धा, आदर, प्रवक्तर्, युष्मभ्यम्, शिष्टता, वैयास, पिण्डीकरण, मङ्क्षु, विभूषा, परिमा, कुट्टनी, लिप्सु, प्रात्यन्तिक, व्यवहारवन्त्, परिचित, संपराय, मन्थर, अचक्षुस्, विभ्राज्, निःसङ्गत्व, चित्तिन्, अर्वाञ्च्, महारथ्या, तुरीय, समुचित, अरन्यवासिन्, अवमन्, निष्ठावन्त्, विस्मि, सम्यक्त्व, विनिवर्तन, परिक्षाम, ग्रैष्म, अग्रमुख, समुच्चयार्थ, न्यायवृत्त, दोषातन, वाग्°, उपमान, भवान्तर, °सतीन, अदोष, उत्था, संमर्शन, बह्वृच्, वृष्टिमन्त्, दुर्ग्रह, विश्लथ, भवदीय, रि, क्षुद्रबुद्धि, हिरि°, भीमौजस्, पाक, प्रतिवारण, प्रग्रभ्, मातुलेयी, जीविताशा, त्रिवृत्, जलशय्या, किराट, रमण, संनर्द्, भेदन, निरातङ्क, षड्भुज, क्षेत्रपति, प्रवेप, दून, देवशत्रु, कृतबुद्धि, भद्रक, जनस्, शशय, अनाथ, रै, सिसृक्षु, प्राध्व, द्रढिष्ठ, वितिमिर, सस्वेद, निर्गम्, बर्हापीड, पीनस, प्रत्यभिज्ञा, पाण्डिमन, लिट्, दुर्गन्धता, कुच्, पाशिक, प्रलोभ, निपतन, पैष्ट, दुरधिगम, दात्र, महान्त, चातुर्विद्य, परिभू, प्रख्या, क्रव्य, सूदिन्, अश्वहृदय, दुर्मित्र, षट्शस्, प्रवास, सर्व, अवदान, अग्नायी, देववन्द, अदर्शन, व्यवस्थिति, वैद्रुम, पाचक, शस्त्रिका, आविश्, विभाषा, निरर्थक, पन्नग, हैमन, व्यपनय, सवेग, मरकतमय, दुर्धर्षत्व, °प्रद, सारिक, झ, वेन्, आश्रय, शतसेय, प्रलभ्, आख्येय, मुमूर्षा, आतिथेय, क्षन्, वीरत्व, अतिसंचय, कालज्ञ, ज्ञातर्, शताङ्ग, मत्क, विकत्थन, संप्रत्यय, भृगुतुङ्ग, संरक्त, °कार, पृथ्वीधर, तत्त्वाख्यानोपमा, प्रोत्सह्, विपर्यय, रथोद्धत, ह्लादुक, समुपाहर्, अनिष्ट, विदारण, हेतुशास्त्र, त्रैविध्य, माध्यस्थ्य, मैरव, तोय, भयानक, बाह्यतस्, नृ, जितेन्द्रिय, प्रहासिन्, त्रैस्रोतस, स्वस्तिवाच्, आक्षिप्, उपक्षेपण, जलनिधि, सर्, क्रोष्टु, समाराध्, ध्वन, भौमिक, प्रसृत, प्रत्यासन्न, औदक, त्याग, रोह |
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