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पङ्क्तिपङ्क्ति पङ्क्ति /pan_kti/ f.
1) пятёрка
2) ряд, группа
3) назв. стихотв. размера

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विग्र, साधारणधर्म, प्रत्यक्ष, स्थाविर, अनुभाष्, शुक्ल, अस्मत्तस्, व्यश्व, आस्थानी, आलेप, तविष, ज्ञानिन्, व्युच्छेद, शुशुक्वन, परिपूरण, आशावन्त्, निवर्तिका, शिरस्त्राण, परिभूति, द्रोण्य, निर्नाथ, अन्तर्भूतत्व, हिरण्यपाणि, प्रजिहीर्षु, चर्म°, दिनान्त, यथाभिलषित, सेचन, विसर, नाथवत्ता, ध्वंसिन्, ईर्म, सक्ति, वचस्, आतपत्र, अरे, हस्ताभरण, होम्य, विमथ्, अर्धर्च, समेधन, दिदिक्ष्, मेध्यत्व, निरूपिति, °लुञ्चक, पीतुदारु, निधा, पूर्वकालता, अधिष्ठित, समुन्मीलय्, दूरभाव, शब्दापय्, जलत्रास, पुण्यतीर्थ, वैकार्य, समीप, वृन्दिष्ठ, आहव, दृढभक्ति, क्षमता, अर्थतृष्णा, सन्मार्ग, स्वर, शत्रुहन्, पुष्पवृष्टि, संभार्य्, सत्यशील, अभाव, उपादान, निष्प्रतीकार, निरुद्विग्न, नास्तिक, लुप्, रेखान्यास, तरुषी, पूर्वमीमांसा, मुखमारुत, शत, देवत्व, प्ररोचन, यातु, नैर्ऋत, उच्च, दिद्युत्, परिवर्ध्, क्ष्मा, उपालम्भ, शाश्वत, परिपाण्डु, धूमाक्ष, हिमक्ष्माधर, सध्यक्, कालपर्यय, शल्, युद्धशालिन्, हविर्धान, धर्ष्, दक्षिणाद्वार, निशाचर, संरोध, संवाहक, बृहद्वयस्, ऊर्ध्वकर, ऐश्वर्य, साभिमान, सद्वृत्ति, विनुत्ति, प्रसच्, अपटु, पूर्वकाल, अनुहर्ष्, विभाव्य, विसर्प, प्रत्यादा, उपाश्रि, उर्वीभुज्, परिमोक्षण, प्रतिपद्, अग्निद, स्तुति, प्रायुध्, विस्तारिन्, प्रपत्, पक्षता, अपकर्, प्रतिधान, प्रीतिपूर्वकम्, संस्मृति, नाविक, द्राघियंस्, सू, अवत, षट्पाद्, जाघनी, वैरिता, सौम्य, वसुदेव, जल, ब्राह्मणभोजन, क, उर्वशी, आदा, झौलिक, सुयाम, अधिवाद, पूर्वदक्षिण, सुतेजित, नक्तंदिन, रेतोधेय, निषेव्, अपभाष्, प्रामाण्य, दामन्, प्रतिस्पर्धिन्, परुषवादिन्, निर्हर्, अतिवर्ध्, विध्वंस, कल्माष, कुचन्दन, मिथ्यावादिन्, पुनःपाक, सन्, गृहपति, अगुण, मधुरस्वर, निर्बीज, नृपगृह, दिवानक्तम्, जनरव, निष्कल, वैकुण्ठ, प्राक्पद, माम्, यास्क, पृथिवीमय, फणधर, सबाह्यान्तःकरण, गुणान्वित, उचथ्य, झषकेतन, खलति, जानुका, सुमित्र्य, लिङ्ग, वर्धन, पञ्चमी, चिताधूम, वृषभध्वज, श्वसथ, नगरजन, विशङ्कट, पालि, दुरन्त, दुर, ऋक्वन्त्, अत्यादर, स्वादुता, रिक्थभागिन्, वल्श, मालावन्त्, अङ्गन, कलिल, वेदपारग, यदि, विरह, सर्जन |
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