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अनुसर्प्अनुसर्प् अनुसर्प् /anusarp/ (формы см. सर्प्) скользить вдоль чего-л.

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मद्गु, दीर्घ, परिव्रज्या, सूर्यवर्चस्, यमुना, नक्र, उशिज्, बृंहित, गृह्यसूत्र, पूर्णेन्दु, ह्रादिनी, अश्वमेध, जनमेजय, अमरगुरु, गव्यूति, आयुष्मन्त्, प्रतिलाभ, जरण, परावह, प्रतिगज, इतिवत्, विप्रथ्, विलिप्, महावेग, मायूर, कल्, निशादि, हति, हेमगर्भ, एध, उत्पत्ति, हेमन्त, साह्य, प्रतिकूल, त्रिवृत्, ग्रासाच्छादन, कर्कि, आहर, नियोक्तर्, परुत्क, साग्र, वशीकार, हयमुख, तृपल, उपेक्षा, गर्भवसति, वसुत्ति, गार्हपत्य, कास, प्रभाविन्, मिथ्यावादिन्, समालभ्, नासापरिस्राव, अभिविमा, जन्मकृत्, अप्रतर्क्य, गार्ह्य, दुर्मर्ष, निश्चर्, उच्छिष्, नेद्, मृचय, देवतागार, धवलिमन्, अवेक्षण, संहित, सुरूप, सहस्रायु, ज्वाल, वसा, स्मिट्, शूरसेन, नगाधिप, गन्धाध्य, महर्द्धि, संकम्प्, चन्द्रसरस्, कल्माष, पाशुपाल्य, तिलाम्बु, पैण्डपातिक, पटह, न्याय, भाति, उत्तरदायक, स्नायिन्, विस्र, निविद्, विरुच्, ज्यानि, जग्धि, मोहवन्त्, °ध, मिताक्षर, हंसकूट, ब्राह्म, हंसवाह, द्वैविध्य, प्रतिबोधवन्त्, श्याम, श्रेणीभूत, घुण्, ईर्ष्यु, ब्राह्मणायन, सस्, प्रास्, उद्गमन, सव्यतस्, °भाषिन्, हूंकृति, चिकित्, दूरेचर, प्राप्तार्थ, प्रत्यग्र, स्वयुक्ति, कुरूप, तिरस्करण, नलिन, परिस्कन्द, स्यूमन्, भक्तिवाद, दुर्हृद्, यवन्, भान, द्वात्रिंशत्, साटोप, चिकीर्षित, अर्धमास, प्रोदक, प्रेमाकर, अपेक्ष्, कार, कक्षा, गोधूम, तर्पण, संया, निरौषध, अलोमक, समर, भीति, रक्ताशोक, प्रसर, सुहोतर्, परिश्रम्, घ, डम्, धर्मवृद्ध, विरुद्, मित्रधिति, अनाख्यात, पाशबन्धक, संज्ञित, सर्म, गीथा, महात्याग, पात, मुनिवर, भर्तृहरि, मङ्क्षु, द्वैतिन्, आयज्, मरुत्सहाय, डमरु, समुच्छ्वस्, प्रशाखा, रातहविस्, दान, उत्तान, आवद्, कुत्स, दृषदुपल, त्रिषष्, निगड, संवस्, सुमति, पनु, मान्थर्य, क्षोदीयंस्, अमात्य, अहस्त, प्रवादिन्, प्रतिघ, प्रलप्, चित्य, स्वेच्छाभोजन, प्रतीशी, वृद्धसृगाल, आयुधभृत्, बाहूत्क्षेपम्, वायु, संयत्त, वनुस्, दारु, स्तुत्, घुष्, दुश्चेष्टा, अभिमत, अभ्यवहार्य, विनिवृत्ति, स्वङ्ग, अतृप्त, रक्षोहत्य, तया, नवाक्षर, राजराज्, दाव, हंसकालीतनय |
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